देश की खबरें | बुग्यालों के संरक्षण से संबंधित अभियान संपन्न

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गोपेश्वर, 12 सितंबर अपनी खूबसूरती और जड़ी-बूटियों के खजाने के रूप में विख्यात उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में घास के मैदानों 'बुग्यालों' के संरक्षण को लेकर चला अभियान मंगलवार को संपन्न हो गया।

नंदा देवी बायोस्फीयर के उच्च हिमालयी इलाकों में शनिवार से शुरू हुए 'बुग्याल बचाओ' अभियान का समापन जोशीमठ के समीप रेगड़ी गांव में हुआ। भारी बारिश के बीच भी अभियान दल ने उच्च हिमालय में कई किलोमीटर का सफर पैदल ही पूरा किया।

अभियान के समापन के मौके पर प्रख्यात पर्यावरणविद चंडी प्रसाद भट्ट ने दल को विपरीत परिस्थितियों में भी अभियान पर डटे रहने के लिए धन्यवाद दिया और 'चिपको आंदोलन' के दौर की याद ताजा करते हुए कहा कि इसी रेगड़ी गांव में 1973 के आखिरी महीनों में चिपको को लेकर बैठक की शुरुआत हुई थी और यहीं से रैणी के जंगल बचाने के लिए अलग-अलग गांवों में वाच-डाग कमेटी बनाने का सिलसिला शुरू हुआ था।

इस अभियान दल में भारत तिब्बत सीमा पुलिस, पत्रकार, स्थानीय अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता, अधिवक्ता, शिक्षक, छात्र और वन विभाग सहित लगभग हर वर्ग के लोग शामिल थे।

अभियान के दौरान औली से लेकर कुंवारी पास के बीच के एक दर्जन से अधिक बुग्यालों का अध्ययन तथा प्रतीकात्मक रूप से बुग्यालों और उससे सटे वन इलाके में अजैविक कचरे की सफाई भी की गई।

'बुग्याल बचाओ' अभियान की विधिवत शुरुआत शनिवार को भारत तिब्बत सीमा पुलिस के सभागार में आईटीबीपी की पहली वाहिनी के उपसेनानी द्वारा दल को हरी झण्डी दिखाकर की गई।

दल को संबोधित करते हुए उत्तराखंड के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक समीर सिन्हा ने कहा कि हिमालय के बुग्याल देश की जैवविविधता के खजाने हैं जिनके संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रभावी प्रयास की आवश्यकता है। उन्होंने बुग्यालों के संरक्षण के लिए वन विभाग की ओर से किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी और बुग्यालों के संकट के निराकरण के लिए सभी के मिलजुलकर प्रयास करने की जरूरत बताई।

भारत तिब्बत सीमा पुलिस के उपसेनानी ने दल को संबोधित करते हुए भारत तिब्बत सीमा पुलिस द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। इस दौरान नन्दा देवी नेशनल पार्क डिवीजन के एस डी ओ ए एस रावत और वन क्षेत्राधिकारी गौरव कुमार ने भी वन प्रभाग के स्तर पर समय समय पर बुग्यालों के इलाकों से अजैविक कचरे के निस्तारण के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी।

अभियान के दौरान दल के सदस्यों ने बुग्यालों की यात्रा पर देश के अलग-अलग भागों से आए पर्यटकों के अनुभवों और सुझावों का भी संकलन किया। बुग्यालों के जानकार माने जाने वाले लगभग आधा दर्जन भेड़पालकों से भी बातचीत की गयी।

इस अभियान का आयोजन सी पी भट्ट पर्यावरण एवं विकास केन्द्र ने नन्दादेवी नेशनल पार्क फारेस्ट डिविजन और भारत तिब्बत सीमा पुलिस के सहयोग से किया गया।

सीपी भट्ट पर्यावरण एवं विकास केन्द्र की ओर से दस साल पहले 2014 में नन्दादेवी राजजात यात्रा के बाद बैदनी बुग्याल की बदहाल हालत को सुधारने के लिए लोक जागरण के लिए बैदनी बुग्याल से अभियान की शुरुआत की गई थी जिसके बाद हर साल इस तरह से अभियान चलते रहे हैं।

बुग्यालों में पूर्व में बड़े मवेशियों के चराने पर प्रतिबंध रहता था। लेकिन पिछले एक दशक से इस इलाके में भी घोड़े-खच्चर और अनुपयोगी बड़े मवेशियों को छोड़ने का सिलसिला शुरू हो गया है जिसका बुग्यालों के संवेदनशील पारिस्थितिकीय तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है ।

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