देश की खबरें | महाराष्ट्र के परिणाम से भाजपा उत्साहित, झारखंड में विपक्ष को खुश होने का मिला मौका
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. लोकसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन ने महाराष्ट्र में शानदार प्रदर्शन किया था लेकिन विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत गठबंधन ने उसके चुनावी जीत के सफर पर विराम लगा दिया।
नयी दिल्ली, 23 नवंबर लोकसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन ने महाराष्ट्र में शानदार प्रदर्शन किया था लेकिन विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत गठबंधन ने उसके चुनावी जीत के सफर पर विराम लगा दिया।
हालांकि, विपक्षी पार्टियां झारखंड में झामुमो नीत गठबंधन की भाजपा नीत गठबंधन पर हुई शानदार जीत से उत्साहित होंगी। भाजपा ने अपने प्रचार अभियान में कथित घुसपैठ सहित हिंदुत्व के मुद्दे को जोर शोर से उठाया था।
राजनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण राज्यों में से एक महाराष्ट्र में भाजपा-एकनाथ शिंदे नीत शिवसेना- अजित पवार नीत राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के गठबंधन की जीत कई मायनों में महत्वपूर्ण है। महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में गठबंधन ने 231 सीटें जीत ली हैं या उन पर बढ़त बनाए हुए है।
भाजपा के एक संगठन नेता ने कहा कि इन परिणामों ने वरिष्ठ नेता शरद पवार तथा शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे को करारा झटका दिया है।
दोनों क्षेत्रीय क्षत्रपों ने अपनी-अपनी पार्टी के अलग हुए समूहों के नेताओं को ‘‘गद्दार’’ बताया, और इस मुद्दे के इर्द-गिर्द अपनी लड़ाई की रूपरेखा तैयार की। निर्वाचन आयोग ने दोनों दलों से टूटकर बने धड़े को आधिकारिक पार्टी के रूप में मान्यता दी। चुनाव नतीजों से प्रतीत होता है कि अब लोगों ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को शिवसेना का और अजित पवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) का असली वारिस मान लिया है।
इस फैसले ने कांग्रेस की भाजपा के खिलाफ प्रभावी विपक्ष खड़ा करने की क्षमता पर संदेह को और गहरा कर दिया है। राष्ट्रीय चुनावों में राज्य में सबसे ज्यादा सीट जीतने के कुछ महीने बाद महाराष्ट्र में कांग्रेस का अब तक का यह सबसे खराब प्रदर्शन है।
कांग्रेस महा विकास आघाडी (एमवीए) की सबसे बड़ी घटक पार्टी थी और केवल 15 सीटों पर जीत या बढ़त इसे मुख्य विपक्षी दल का दर्जा भी नहीं दिला पाएगी। राष्ट्रीय चुनावों में महाराष्ट्र में प्रभावशाली प्रदर्शन करने के कुछ महीनों बाद, अक्टूबर में हरियाणा विधानसभा चुनावों में इसे बड़ी हार का सामना करना पड़ा था।
झारखंड में ‘इंडिया’ की जीत को झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की जीत के रूप में देखा जा रहा है, जबकि कांग्रेस सहयोगी दल की भूमिका में है।
भाजपा के एक नेता ने कहा, ‘‘परिणामों से स्पष्ट है कि मतदाताओं ने विपक्ष के ‘संविधान बचाओ’ के नारे को खारिज कर दिया है, जो महाराष्ट्र और हरियाणा सहित कई राज्यों में लोकसभा चुनावों में प्रभावशाली रहा था। हमारी विचारधारा और विकास के मुद्दे प्रबल हुए हैं।’’
महाराष्ट्र में भाजपा अकेले 132 सीटें जीत रही है या बढ़त बनाए हुए है, जहां बहुमत का आंकड़ा 145 है। पार्टी के भीतर इस बात की जोरदार चर्चा है कि एकनाथ शिंदे की जगह आखिरकार उसका अपना मुख्यमंत्री हो सकता है। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद के लिए एक प्रमुख दावेदार के रूप में देखा जा रहा है।
भाजपा सूत्रों ने कहा कि नेतृत्व को यह विश्लेषण करना होगा कि झारखंड में क्या गलत हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा को प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी सहित स्थानीय नेतृत्व के कमजोर होते प्रभाव का एहसास है और पार्टी द्वारा अपनाए गए विकल्प सोरेन के सामाजिक गठबंधन को नुकसान नहीं पहुंचा सके।
पार्टी के एक नेता ने बताया कि राज्य में भाजपा का वोट प्रतिशत करीब 33 प्रतिशत है, जो 2014 में उसे मिले 31 प्रतिशत से थोड़ा अधिक है, जब वह पिछली बार सत्ता में आई थी, लेकिन विपक्षी वोट एकजुट हो गए हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी महाराष्ट्र में महायुति के प्रचार अभियान के केंद्र में थे, जो इसके विकास और कल्याण के मुद्दों पर जोर दे रहे थे। साथ ही, उन्होंने ‘‘एक हैं तो सेफ हैं’’ का नारा भी दिया। इस नारे को विपक्ष ने विभाजनकारी बताया, लेकिन सत्तारूढ़ गठबंधन ने इसे प्रतिद्वंद्वियों के ‘‘विभाजनकारी’’ एजेंडे के खिलाफ मतदाताओं के बीच एकजुटता को बढ़ावा देने के रूप में पेश किया।
महाराष्ट्र में जीत को विकास और सुशासन के लिए जीत बताना तथा इस बात पर जोर देना कि ‘‘एकजुट होकर हम और भी ऊंची उड़ान भरेंगे’’, यह स्पष्ट कर देता है कि पार्टी आगामी चुनावों में भी इसी रणनीति पर चलेगी।
हालांकि, झारखंड में भाजपा की अपील झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन को रोकने के लिए कारगर साबित नहीं हुई। झारखंड में झामुमो नीत गठबंधन ने 81 में से 57 सीटों पर जीत हासिल की या बढत बनाए हुए है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि दोनों राज्यों में सत्तारूढ़ गठबंधन की जीत से अगले साल होने वाले राज्य चुनावों में कल्याणकारी कार्यक्रम एजेंडे के केंद्र में रहेगा। इसकी शुरुआत दिल्ली से होगी जहां फरवरी में चुनाव होने हैं।
आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मुफ्त बिजली और नकद हस्तांतरण को अपने एजेंडे का केंद्र बनाया है। वहीं, भाजपा अपने पसंदीदा विकास और वैचारिक मुद्दों के साथ साथ कल्याणकारी योजनाओं पर जोर देकर आप के एक दशक से अधिक के शासन को समाप्त करने के लिए आगे आ सकती है।
देश भर में 48 विधानसभा सीट और दो लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनावों में, जैसा कि अक्सर होता है, अधिकांश परिणाम अपने-अपने राज्यों में सत्तारूढ़ गठबंधनों के पक्ष में गए हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्साहित महसूस करेंगे क्योंकि भाजपा नीत गठबंधन नौ विधानसभा सीटों में से सात पर जीत दर्ज की है।
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