देश की खबरें | बहराइच घटना:अदालत ने विध्वंस नोटिस प्राप्त करने वालों को जवाब दाखिल करने को 15 दिन का और समय दिया
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने रविवार को उन लोगों को बड़ी राहत दी जिन्हें बहराइच में कुंडसर-महसी-नानपारा-महराजगंज मार्ग पर अवैध संरचनाओं को ध्वस्त करने के लिए नोटिस दिया गया है और उन्हें जवाब दाखिल करने के लिए दिए गए वक्त को 15 दिन बढ़ा दिया है।
लखनऊ, 20 अक्टूबर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने रविवार को उन लोगों को बड़ी राहत दी जिन्हें बहराइच में कुंडसर-महसी-नानपारा-महराजगंज मार्ग पर अवैध संरचनाओं को ध्वस्त करने के लिए नोटिस दिया गया है और उन्हें जवाब दाखिल करने के लिए दिए गए वक्त को 15 दिन बढ़ा दिया है।
पीठ ने कहा है कि संबंधित व्यक्ति 15 दिनों के भीतर नोटिस का जवाब दाखिल कर सकते हैं।
अदालत ने साथ ही राज्य के अधिकारियों को जवाब पर विचार करने और जवाब पर उचित आदेश देने का निर्देश दिया है। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 23 अक्टूबर को तय की है।
न्यायमूर्ति ए. आर. मसूदी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स द्वारा दायर जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया।
याचिकाकर्ता की याचिका पर रविवार शाम को विशेष पीठ का गठन किया गया और उसने अंतरिम आदेश पारित कर राज्य के अधिकारियों को अवैध ढांचों को गिराने की तैयारी करने से रोक दिया।
जनहित याचिका दायर करते हुए तर्क दिया गया कि राज्य ने अवैध तरीके से ध्वस्तीकरण नोटिस जारी किया है और ध्वस्तीकरण अभियान शुरू करने की उसकी कार्रवाई उच्चतम न्यायालय के हाल के निर्देशों का उल्लंघन है, जिसमें कुछ मामलों को छोड़कर बुलडोजर की कार्रवाई पर प्रतिबंध लगाया गया है।
राज्य सरकार की ओर से मुख्य स्थायी अधिवक्ता (सीएससी) शैलेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि जनहित याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।
मामले की सुनवाई के बाद पीठ ने कहा, "मामले के सभी पहलुओं को देखते हुए इस अदालत की अंतरात्मा को जो बात खटकती है, वह यह है कि नोटिस जारी कर तीन दिनों की अल्प अवधि में जवाब देने के लिए कहना।”
पीठ ने यह भी कहा कि बहराइच के कुंडासर-महसी-नानपारा-महराजगंज जिला मार्ग के ‘किलोमीटर-38’ पर स्थित कितने घरों को निर्माण के लिए विधिवत अधिकृत किया गया है, यह भी नोटिस से स्पष्ट नहीं है।"
इसके साथ ही पीठ ने कहा, "इस स्तर पर गुण-दोष पर कुछ भी देखे बिना हम सीएससी को पूर्ण निर्देश प्राप्त करने के लिए तीन दिन का समय देते हैं।"
पीठ ने कहा, "सड़क की श्रेणी और लागू मानदंडों के बारे में स्थिति अगली निर्धारित तिथि पर स्पष्ट की जा सकती है।"
पीठ ने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि नोटिस का सामना करने वाले व्यक्ति इस बीच कार्यवाही में भाग लेंगे।”
अदालत ने कहा, “हम आगे यह भी व्यवस्था देते हैं कि अगर वे आज से 15 दिनों की अवधि के भीतर नोटिस का जवाब दाखिल करते हैं, तो सक्षम प्राधिकारी इस पर विचार करेगा और एक तर्कपूर्ण आदेश पारित करके निर्णय लेगा। उसके बारे में पीड़ित पक्षों को सूचित किया जाएगा।"
बहराइच के रेहुआ मंसूर गांव के निवासी 22 वर्षीय युवक राम गोपाल मिश्रा की 13 अक्टूबर को एक गांव में जुलूस के दौरान संगीत बजाने को लेकर हुए सांप्रदायिक टकराव के दौरान गोली लगने से मौत हो गई थी।
लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) द्वारा क्षेत्र में 23 मकान और प्रतिष्ठानों को ध्वस्तीकरण के नोटिस दिए गए थे। उनमें से 20 मुस्लिमों के हैं। वे नोटिस सड़क नियंत्रण अधिनियम 1964 के तहत जारी किए गए।
पीडब्ल्यूडी के अफसरों ने शुक्रवार को महाराजगंज क्षेत्र में निरीक्षण किया था और मिश्रा की हत्या में कथित भूमिका निभाने वाले आरोपियों में से एक अब्दुल हमीद सहित 20-25 लोगों के घरों की माप ली थी।
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