देश की खबरें | बहराइच : लोगों की परेशानी का सबब बने तेंदुए को वन विभाग ने पकड़ा

इससे पहले शनिवार रात इस तेंदुए के शावक को भी पिंजरे में कैद किया गया था।

प्रभागीय वनाधिकारी (डीएफओ) तथा इस विशेष तेंदुआ बचाव अभियान के कमांडर आकाशदीप बधावन ने मंगलवार को बताया कि नानपारा वन रेंज के खैरीघाट व आसपास के इलाकों में एक मादा तेंदुआ अपने एक या दो शावकों के साथ बीते कुछ महीनों से घूम रही थी। तेंदुए के इस परिवार ने पांच अगस्त से अभी तक हमला कर पांच लोगों की जान ले ली थी तथा इनके हमलों से दो बच्चे घायल हुए थे।

उन्होंने बताया कि मादा तेंदुए का शावक जन्म के बाद से जंगल के बजाय अपनी मां के साथ रिहायशी इलाकों के नजदीक रह रहा था। इसलिए वह जंगल में शिकार करने की विधा से पूरी तरह से वाकिफ नहीं था।

डीएफओ के अनुसार मादा तेंदुआ अपने इस शावक को संभवतः शिकार करना सिखा रही थी और इस क्रम में दोनों तेंदुए (मां व शावक) पालतू गाय, बैल, कुत्ते तथा सियार आदि पर हमला करते थे। इस दौरान ग्रामीण भी इनकी चपेट में आकर जान खो बैठते या घायल हो रहे थे।

उन्होंने बताया कि मानव वन्यजीव संघर्ष की उपरोक्त घटनाओं के दृष्टिगत आबादी में विचरण कर रहे तेंदुओं को पकड़ने हेतु वन विभाग द्वारा चार माह से निरंतर कोशिश जारी थीं। इसके तहत प्रभावित क्षेत्रों में पिंजड़े लगाए गए थे।

आधुनिक वैज्ञानिक तरीकों से चलाए गये अभियान के फलस्वरूप 25 नवंबर की शाम करीब 7.30 बजे तेंदुए का करीब 10-12 माह उम्र का एक शावक वन विभाग द्वारा लगाए एक पिंजरे में कैद हो गया। अपने शावक की तलाश में उसकी मां मादा तेंदुआ आसपास ही विचरण कर रही थी। मंगलवार सुबह उक्त मादा तेंदुआ भी उसी पिंजरे में कैद हो गयी।

बधावन ने बताया कि उक्त मादा तेंदुआ व उसके शावक को बहराइच वन प्रभाग की नानपारा रेंज और कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग के मोतीपुर रेंज के निकट ग्राम लोनियनपुरवा में पकड़ा गया है।

उन्होंने बताया कि अभी इस बात की पूर्णतः पुष्टि नहीं हुई है कि इनका एक और शावक मौजूद भी है या नहीं।

डीएफओ ने बताया कि पकड़े गए दोनों तेंदुओं का स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया है और दोनों वन्यजीव स्वस्थ हैं। उन्होंने कहा कि उच्च अधिकारियों की अनुमति से उन्हें चिड़ियाघर भेजने की सिफारिश की गई है।

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