इस कानून में व्यवस्था की गयी है कि ‘टिकटॉक’, ‘फेसबुक’, ‘स्नैपचैट’, ‘रेड्डिट’, ‘एक्स’ और ‘इंस्टाग्राम’ समेत सोशल मीडिया मंच यदि 16 साल के कम उम्र के बच्चों के एकाउंट खोलने/रखने पर रोक लगाने में विफल रहते हैं तो उन पर पांच करोड़ आस्ट्रेलियाई डॉलर तक का जुर्माना लगेगा।
सीनेट में यह विधेयक 19 के मुकाबले 34 मतों से पारित हुआ। प्रतिनिधि सभा पहले ही 13 के मुकाबले 102 मतों से इसे मंजूर कर चुकी है।
वैसे प्रतिनिधि सभा को सीनेट में विपक्ष द्वारा लाये गये संशोधनों पर मुहर लगाना बाकी है। लेकिन वह महज औपचारिकता है क्योंकि सरकार पहले ही इस बात पर राजी हो चुकी है कि उन्हें पारित कर दिया जायेगा।
अब सोशल मीडिया मंचों के पास इस बात के लिए एक साल का वक्त है कि वे इस पाबंदी को कैसे लागू करते हैं।
‘फेसबुक’ और ‘इंस्टाग्राम’ का संचालन करने वाले ‘मेटा’ मंच ने कहा कि यह ‘हड़बड़ी’ में बनाया गया कानून है।
ये संशोधन निजता सुरक्षा को मजबूत करते हैं। मंचों को उपयोगकर्ताओं को पासपोर्ट या ड्राइविंग लाइसेंस समेत सरकार द्वारा जारी पहचान दस्तावेज प्रदान करने के लिए बाध्य करने की अनुमति नहीं होगी, न ही वे सरकारी प्रणाली के माध्यम से डिजिटल पहचान की मांग कर सकते हैं।
प्रतिनिधि सभा शुक्रवार को संशोधनों को पारित करेगी। इस कानून के आलोचकों ने कहा है कि बच्चों पर सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने पर पाबंदी लगाने से उपयोगकर्ताओं की निजता प्रभावित होगी क्योंकि उन्हें साबित करना होगा कि वे 16 साल से अधिक उम्र के हैं।
ऑनलाइन सुरक्षा अभियान चलाने वाली सोन्या रयान ने सीनेट से इस विधेयक के पारित होने को बच्चों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण बताया।
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