देश की खबरें | दिल्ली में लगातार चौथे दिन वायु गुणवत्ता गंभीर बनी रही, सम-विषम नियम होगा लागू

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में सोमवार को प्रदूषण का स्तर सुरक्षित मानदंड से सात से आठ गुना अधिक दर्ज किया गया और लगातार सातवें दिन क्षेत्र के वातावरण में जहरीली धुंध छाई रही।

नयी दिल्ली, छह नवंबर दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में सोमवार को प्रदूषण का स्तर सुरक्षित मानदंड से सात से आठ गुना अधिक दर्ज किया गया और लगातार सातवें दिन क्षेत्र के वातावरण में जहरीली धुंध छाई रही।

दिल्ली सरकार ने दिवाली के बाद हवा की गुणवत्ता में और अधिक गिरावट की आशंका को देखते हुए चार साल बाद वाहनों को चलाने की अपनी प्रमुख ‘सम-विषम’ योजना को लागू करने की घोषणा की है।

स्कूली बच्चों के स्वास्थ्य के लिहाज से सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी के सभी विद्यालयों को 10 नवंबर तक 10वीं और 12वीं कक्षा को छोड़कर बाकी कक्षाओं की ऑफलाइन कक्षाएं निलंबित करने का भी फैसला लिया है।

दिल्ली में सोमवार को 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) अपराह्न चार बजे 421 दर्ज किया गया, जो कि रविवार को 454 था।

पड़ोसी राज्य हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में भी वायु गुणवत्ता बेहद खराब अथवा गंभीर श्रेणी में दर्ज की गयी। गाजियाबाद में एक्यूआई 391, गुरुग्राम में 373, नोएडा में 384, ग्रेटर नोएडा में 420 और फरीदाबाद में यह 412 दर्ज किया गया।

श्वसन प्रणाली में गहरे तक जाने में सक्षम और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा करने वाले अत्यंत सूक्ष्म कण पीएम 2.5 की सांद्रता पूरे दिल्ली-एनसीआर में कई स्थानों पर सरकार द्वारा निर्धारित 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की तय सीमा से सात से आठ गुना अधिक है। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा निर्धारित 15 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सीमा से 30 से 40 गुना अधिक रही।

दिल्ली-एनसीआर के लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के अनुसार, इस क्षेत्र में अगले पांच से छह दिनों तक वायु गुणवत्ता के गंभीर रहने की आशंका है।

इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में पल्मोनोलॉजी और क्रिटिकल केयर के वरिष्ठ सलाहकार राजेश चावला ने कहा कि दिल्ली की प्रदूषित हवा में सांस लेना एक दिन में लगभग 10 सिगरेट पीने के हानिकारक प्रभावों के बराबर है।

चिकित्सक ने कहा कि गंभीर प्रदूषण के लंबे समय तक संपर्क में रहने से दमा, ब्रोंकाइटिस और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी श्वसन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं या बढ़ सकती हैं और इससे हृदय रोग का खतरा भी काफी बढ़ सकता है।

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने सोमवार को घोषणा की कि वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने की कवायद के तौर पर शहर में 13 से 20 नवंबर तक ‘सम-विषम’ योजना लागू की जाएगी। इसके तहत गाड़ियों के नंबर के आधार पर उनके परिचालन की अनुमति होगी।

पर्यावरण मंत्री ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘दिल्ली में दिवाली के बाद 13 से 20 नवंबर तक सम-विषम योजना लागू की जाएगी। इस योजना की अवधि बढ़ाने पर फैसला 20 नवंबर के बाद लिया जाएगा।’’

चिकित्सकों के अनुसार, जहरीली धुंध श्वसन समस्याओं से ग्रस्त लोगों के लिए गंभीर समस्याएं पैदा कर रही है।

वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जन, धान की पराली जलाने, पटाखों और अन्य स्थानीय प्रदूषण स्रोतों के साथ मौसम संबंधी प्रतिकूल परिस्थितियां हर साल सर्दियों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता के स्तर को खतरनाक स्तर पर पहुंचा देती हैं।

इससे पहले, सोमवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सर्दियों में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक कार्य योजना के कार्यान्वयन की समीक्षा के लिए अपनी सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की।

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के अनुसार, राजधानी में एक नवंबर से 15 नवंबर तक प्रदूषण उस समय चरम पर होता है, जब पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं की संख्या बढ़ जाती है।

नयी दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के अनुसार, रविवार को उत्तर भारत से खेतों में पराली जलाने की कुल 4,160 घटनाएं सामने आईं - जो इस मौसम में अब तक की सबसे अधिक घटनाएं हैं।

पंजाब सुदूर संवेदी केंद्र के आंकड़ों के मुताबिक, अकेले पंजाब में पराली जलाने की 3,230 घटनाएं दर्ज की गईं, जो इस मौसम में अब तक एक दिन में राज्य में सबसे ज्यादा हैं।

क्षेत्र में प्रदूषण से निपटने को लेकर रणनीति तैयार करने के लिए जिम्मेदार वैधानिक निकाय, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने दिल्ली और एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) राज्यों से सार्वजनिक परियोजनाओं से संबंधित निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध लगाने और सरकारी एवं निजी कार्यालयों में 50 प्रतिशत कर्मचारियों को घर से काम करने की अनुमति देने के लिए कहा है।

क्रमिक प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी या ग्रैप) के चौथे चरण के तहत, अन्य राज्यों से केवल सीएनजी, इलेक्ट्रिक और बीएस छह-अनुपालक वाहनों को दिल्ली में प्रवेश की अनुमति है। केवल आवश्यक सेवाओं से जुड़े वाहनों को छूट दी गई है। सीएक्यूएम के हालिया आदेश के अनुसार, आवश्यक सेवाओं में शामिल नहीं होने वाले सभी मध्यम और भारी माल वाहनों के प्रवेश पर भी राजधानी में प्रतिबंध लगा दिया गया है।

सीएक्यूएम ने दो नवंबर को गैर-आवश्यक निर्माण कार्य और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की विशिष्ट श्रेणियों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था।

तापमान में धीरे-धीरे गिरावट, प्रदूषकों को तितर-बितर करने में असमर्थ मंद हवाएं और पंजाब तथा हरियाणा में कटाई के बाद पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि के कारण पिछले सप्ताह दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता में गिरावट आई है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, 27 अक्टूबर से तीन नवंबर के बीच दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक 200 अंक से अधिक बढ़ गया, जो शुक्रवार को ‘अत्यंत गंभीर’ की श्रेणी में पहुंच गया।

शुक्रवार का 24 घंटे का औसत एक्यूआई (468) 12 नवंबर, 2021 को दर्ज किए गए 471 के पिछले उच्च स्तर के बाद से सबसे खराब था।

राय ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय राजधानी वायु प्रदूषण के संकट से जूझ रही है, जबकि दिल्ली में प्रदूषण के विभिन्न स्रोतों की पहचान करने और इसके अनुसार कार्रवाई करने में मदद करने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा शुरू किया गया अपनी तरह का पहला अध्ययन हाल में डीपीसीसी अध्यक्ष अश्विनी कुमार के आदेश पर रोक दिया गया था।

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय के अनुसार, कुमार ने क्षेत्र में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए दो साल पहले कनॉट प्लेस में स्थापित एक बड़े स्मॉग टॉवर के संचालन को ‘‘एकतरफा’’ रोकने का आदेश दिया।

दुनिया के देशों में राजधानी शहरों में दिल्ली की वायु गुणवत्ता सबसे खराब है।

अगस्त में शिकागो विश्वविद्यालय में ऊर्जा नीति संस्थान (ईपीआईसी) की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि वायु प्रदूषण दिल्ली में लोगों की उम्र लगभग 12 साल कम कर रहा है।

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