मानवाधिकार समूहों का कहना है कि महामारी की शुरुआत के बाद से साइबर कानून के उल्लंघन या आपातकाल के तहत सरकारों को मिली हुई शक्तियों के तहत कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें कई किशोर से लेकर टीवी स्टार तक हैं ।
ह्यूमन राइट्स वाच (एचआरडब्ल्यू) के एशिया के लिए उपनिदेशक फिल रॉबर्टसन ने कहा कि कोरोना वायरस से पैदा संकट से निपटने के लिए सरकार ‘फेक न्यूज’ का ठप्पा लगाकर विचारों को दबाते हुए मानव अधिकार का उल्लंघन कर रही है।
उन्होंने कहा कि कई मामलों में लोगों को घरों से निकाल कर हवालात तक ले जाया जा रहा है और जेल मेभीड़-भाड़ वाले स्थान पर उन्हें रखा जा रहा, जिससे उन्हें कोरोना वायरस से संक्रमित होने की आशंका बढ़ जाती है ।
पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर एएफपी तालिका के मुताबिक थाइलैंड से लेकर भारत और मंगोलिया सहित 10 एशियाई देशों में कोरोना वायरस से जुड़ी पोस्ट के लिए 266 लोगों को गिरफ्तार किया गया ।
एचआरडब्ल्यू और अन्य मानवाधिकार समूह उन मामलों का भी जिक्र करते हैं जहां विपक्षी नेताओं या पत्रकारों के साथ ही आम लोगों को निशाना बनाया गया ।
पुलिस ने बताया कि श्रीलंका में एक अधेड़ महिला को फेसबुक पर शरारती पोस्ट करने के कारण इस सप्ताह तीन दिन जेल में रहना पड़ा । महिला ने मजाक किया था कि राष्ट्रपति कोरोना वायरस से संक्रमित हैं।
थाइलैंड में मार्च के आखिर में कानून बना दिया गया कि कोरोना वायरस के बारे में ऑनलाइन स्तर पर गलत सूचनाएं फैलाना अपराध है । फिलिपीन में हाल में ऐसे कानून को अपनाया गया है जिसके जरिए सरकार को ताकत मिल गयी है कि वह महामारी के बारे में गलत सूचनाएं फैलाने के आरोप में लोगों को गिरफ्तार कर सकती है।
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