नयी दिल्ली, 20 सितंबर: देश के 27 राज्यों में भारतीय उच्च रक्तचाप नियंत्रण पहल (आईएचसीआई) के तहत जून 2023 तक लगभग 58 लाख उच्च रक्तचाप के रोगियों का इलाज किया जा रहा था. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक हालिया रिपोर्ट में इसका उल्लेख करते हुए दवाओं की उपलब्धता को “बड़ी चुनौती” करार दिया गया. आईएचसीआई का लक्ष्य उच्च रक्तचाप प्रबंधन और नियंत्रण के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए साक्ष्य-आधारित रणनीतियों के माध्यम से 2025 तक गैर-संचारी रोगों से मृत्यु दर को 25 प्रतिशत तक कम करने के सरकार के उद्देश्य को प्राप्त करना है. रोजाना शराब पीने वाले हो सकते हैं हाई ब्लड प्रेशर के शिकार- शोध.
यह पहल 2017 में शुरू की गई थी और इसमें स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद, राज्य सरकारें और डब्ल्यूएचओ-भारत शामिल है. आईएचसीआई के समक्ष चुनौतियों का उल्लेख करते हुए रिपोर्ट में कहा गया कि दवाओं की उपलब्धता सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरी, जिससे कुछ क्षेत्रों में मरीज जांच केंद्रों पर दोबारा आने से हतोत्साहित हुए.
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि दुनियाभर में 30-79 वर्ष की उम्र के लगभग एक तिहाई वयस्क उच्च रक्तचाप से प्रभावित हैं. इनमें से केवल 54 प्रतिशत में इस स्थिति का पता चला, 42 प्रतिशत का इलाज किया जा रहा है और 21 प्रतिशत ने अपने उच्च रक्तचाप को नियंत्रित किया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि उच्च रक्तचाप का इलाज संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 3.4 को पूरा करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण हस्तक्षेपों में से एक है, जो प्रमुख गैर-संचारी रोगों से समयपूर्व मृत्यु दर में एक तिहाई की कमी लाने पर लक्षित है.
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