193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने विश्व संगठन के पांच क्षेत्रीय समूहों द्वारा प्रस्तावित सभी 18 उम्मीदवारों को चुन लिया. बेनिन को सर्वाधिक 189 मत मिले. इसके बाद गाम्बिया को 186 मत मिले. अमेरिका 168 और इरिट्रिया 144 मतों के साथ सूची में सबसे निचले स्थानों पर रहे. एक जनवरी से शुरू होने वाले तीन साल के कार्यकाल के लिए चुने गए 18 देशों में अफ्रीका समूह से बेनिन, गाम्बिया, कैमरून, सोमालिया और इरिट्रिया, एशिया समूह से भारत, कजाखस्तान, मलेशिया, कतर और संयुक्त अरब अमीरात, पूर्वी यूरोपीय समूह से लिथुआनिया और मोंटेनेग्रो, लातिन अमेरिका और कैरेबियाई समूह से पैराग्वे, अर्जेंटीना और होंडुरास तथा पश्चिम देशों के समूह से फिनलैंड, लक्जमबर्ग और अमेरिका शामिल हैं. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में देश ने मानवाधिकार के मामले में खराब रिकॉर्ड वाले देशों के परिषद में चयन की निंदा की थी और 2018 में परिषद से स्वयं को अलग कर लिया था.
अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने फरवरी में घोषणा की थी कि देश के राष्ट्रपति जो बाइडन का प्रशासन परिषद में फिर से शामिल होगा. संयुक्त राष्ट्र में ह्यूमन राइट्स वॉच के निदेशक लुइस चारबोन्यू ने कहा, ‘‘इस साल मानवाधिकार परिषद के मतदान में प्रतिस्पर्धा न होना ‘चुनाव’ शब्द का अपमान है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन करने वाले कैमरून, इरिट्रिया और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों का चुना जाना एक भयानक संकेत देता है कि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश मानवाधिकारों की रक्षा के परिषद के मौलिक ध्येय को लेकर गंभीर नहीं हैं.’’ यह भी पढ़ें : Jammu and Kashmir: जम्मू कश्मीर में लोगों को चुन-चुनकर निशाना बना रहे हैं आतंकवादी- आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत
जिनेवा स्थित मानवाधिकार परिषद को मानवाधिकारों के संबंध में कुछ सदस्यों के खराब रिकॉर्ड के कारण धूमिल छवि वाले एक आयोग का स्थान लेने के लिए 2006 में गठित किया गया था, लेकिन नई परिषद को भी अब इसी कारण आलोचनाओं का शिकार होना पड़ रहा है. मानवाधिकार परिषद के नियमों के तहत, भौगोलिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्रों को सीटें आवंटित की जाती हैं.