कोलकाता, 23 नवंबर कोलकाता में जापान के महावाणिज्यदूत नाकागावा कोइची ने शनिवार को कहा कि भारत में कार्यरत लगभग 1,400 जापानी कंपनियां दोनों देशों के बीच घनिष्ठ आर्थिक संबंधों का प्रमाण हैं।
उन्होंने यहां कहा कि दोनों देश सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन सहित विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर काम कर रहे हैं।
कोइची ने यहां एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में कहा, “जहां तक आर्थिक संबंधों का सवाल है, भारत में फिलहाल करीब 1,400 जापानी कंपनियां काम कर रही हैं।”
उन्होंने कहा कि जापान भारत में पांचवां सबसे बड़ा विदेशी निवेशक है, जिसने 2000 से 2024 के बीच करीब 42 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) किया है।
कोइची ने कहा कि जापान-भारत के आधुनिक संबंध 20वीं सदी के प्रारंभ में दोनों देशों की प्रमुख हस्तियों जैसे रवींद्रनाथ टैगोर, स्वामी विवेकानंद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और रासबिहारी बोस के बीच सांस्कृतिक और बौद्धिक आदान-प्रदान के माध्यम से आकार लेने लगे।
वह ‘न्यायमूर्ति राधाबिनोद पाल और न्याय की खोज: ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य और समकालीन निहितार्थ’ विषय पर आयोजित सम्मेलन में बोल रहे थे।
भारतीय न्यायविद पाल ने 1948 में सुदूर पूर्व के अंतरराष्ट्रीय सैन्य न्यायाधिकरण में असहमतिपूर्ण राय दी थी, जहां द्वितीय विश्व युद्ध के बाद कई जापानी सैनिकों के खिलाफ मुकदमा चलाया गया था, और न्यायाधिकरण की वैधता पर सवाल उठाया था।
कोइची ने कहा कि न्यायमूर्ति पाल ने दोनों देशों के बीच मजबूत संबंध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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